Tuesday, October 12, 2010

पुलिस रुपये लेकर बेच रही ब्लू लेन का पास

दैनिक जागरण 12 oct 2010
नई दिल्ली यहां भी कमाई। पैसे हो तो रिजर्व लेन में सैर करो। कोई रोकने वाला नहीं होगा। लेकिन, यह सुविधा भी विदेशियों को ही मिलेगी। आयोजन समिति मोटी रकम लेकर रिजर्व लेन (ब्लू लेन) में चलने का अधिकार पत्र (पास) दिल्ली में स्थित उच्चायोगों व कुछ अन्य दे रही है। आयोजन समिति के इस तरीके को गलत बताया जा रहा है। वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों का कहना है कि रिजर्व लेन को बहुत ही सोच समझ कर सुरक्षा आदि कारणों को देखते हुए बनाया गया था। किंतु धड़ल्ले से पास बेचकर इस लेन को भी कॉमन कर दिया जाना गलत है। इससे रिजर्व लेन पर गाडि़यों का दबाव बढ़ेगा। खेल शुरू होने से पूर्व निर्णय लिया गया था कि रिजर्व लेन पर उच्चायोगों के जो डेलीगेट्स आएंगे वे भी सुरक्षा कारणों से उस लेन का उपयोग करेंगे। इसके लिए दिल्ली में स्थित सभी 54 उच्चायोगों को आयोजन समिति द्वारा एक-एक पास जारी किया था। एक पास से काम नहीं चलने पर उच्चायोगों ने आयोजन समिति से अतिरिक्त पासों की मांगने शुरू कर दिए। पहले तो ओसी ने पास देने से मना कर दिया। किंतु उच्चायोग ने जब यह तर्क दिल्ली कि एस पास से उनका काम नहीं चल सकता है तब आयोजन समिति ने अतिरिक्त पास खरीदने की बात कही। इसपर उच्चायोग पास खरीदने के लिए तैयार हो गए। एक पास के 280 डॉलर यानी 12440 रुपए कीमती रखी गई। आयोजन समिति ने तब यह तय दिया कि एक उच्चायोग को तीन से अधिक पास नहीं बेचे जाएंगे। अधिकतर उच्चायोग ने तीन-तीन पास खरीद लिए और इसके अलावे भी पास देने की मांग कर रह हैं। उच्चायोगों का कहना है कि उनके देश से कई डेलीगेट्स दिल्ली खेल देखने आए हैं। जिससे आयोजन समिति अब संकट में पड़ गया है। अधिकारियों का कहना है कि आयोजन समिति के इस तरह के रवैये से रिजर्व लेन का दुरुपयोग होगा साथ ही समिति के धन कमाने का यह तरीका भी बिल्कुल गलत है। गृहमंत्री पी चिदंबरम की सख्ती के कारण जहां सुरक्षा कर्मी कोई भी ढिलाई नहीं बरतना चाह रहे हैं वहीं आयोजन समिति की कार्यप्रणाली को लेकर पुलिस कर्मियों व सुरक्षा एजेंसियों को खारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।


क्या होगा देश का ?

2 comments:

  1. पास का बेचा जाना न सिर्फ शर्मनाक है बल्कि इस देश के सभ्य नागरिकों का अपमान है ...वैसे इस कोमनवेल्थ गेम ने नैतिकता को पूरे देश में एक प्रश्न चिन्ह बना दिया है और पहले से भ्रष्ट मंत्री और संत्री अब निर्लज्जता की पराकाष्ठ के साथ हर अनैतिक कार्य कर रहें हैं ..यही इस आयोजन की उपलब्धि कही जा सकती है ....हजारों करोड़ खर्च करने के बाद ..| अगर कोई माई का सच्चा लाल या कोई सर्वोच्च न्यायलय का जज इस गेम के पीछे के गेम की सामाजिक जाँच करे तो कई मंत्री और संवैधानिक उच्च पदों पर बैठे लोगों को सरे आम फांसी देनी परेगी ...?

    ReplyDelete