Sunday, November 14, 2010

पुलिस ने पत्रकार को पीटा, हवालात में डाला

अमर उजाला 13 NOV 2010 दस अनुसार देंखे.
अपराध और अपराधियों पर नकेस कस पाने में नाकाम पुलिस आम लोगों पर अपनी ताकत दिखा रही है। मामूली मामलों में वर्दी को दागदार करने वाले पुलिसकर्मी अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं। दीपावली के दिन जुआ खेल रहे एक युवक को छत से धक्का देने का मामला शांत नहीं हुआ है कि चमनगंज पुलिस ने वाहन चेकिंग के दौरान एक पत्रकार को पहले सड़क और फिर थाने में बेरहमी से पीटा। इसके बाद उसे हवालात में डाल दिया। थोड़ी देर बाद सूचना मिलने पर पहुंचे साथियों ने पत्रकार को हवालात से बाहर निकाला। उल्टियां होने पर उसे उर्सला में भर्ती कराया। डीआईजी अशोक मुथा जैन ने अस्पताल में बयान लेने के बाद मामले की जांच एसपी पूर्वी को सौंप दी है।
पनकी स्वराज नगर निवासी जितेंद्र पांडेय एक हिंदी दैनिक समाचार पत्र से जुड़े हुए हैं। बकौल जितेंद्र वह शुक्रवार की सुबह करीब साढ़े 11 बजे अपने आफिस जा रहे थे। रास्ते में चमनगंज थानाध्यक्ष एसके सिंह और दरोगा विनय सिंह वाहनों की चेकिंग कर रहे थे। पहले हेलमेट न पहनने पर हड़काया। फिर 100 रुपए का चालान कटवाने को कहा। जेब में केवल 50 रुपए होने पर उन्होंने अपना प्रेस कार्ड दिखाया। आरोप है कि दरोगा ने कार्ड फाड़ दिया। इस पर वह अपने साथी अनुराग से इस बात की मोबाइल पर शिकायत करने लगा। वह साथी से रुपए लेकर आने को कह रहा था। इसी बीच दरोगा और बाद में थानाध्यक्ष ने मातहतों के साथ उनकी पिटाई शुरू कर दी। उन्हें बेल्ट से पीटा गया।
थाने में सीओ सुएब इकबाल ने भी पिटाई की। इसके बाद यह कहते हुए हवालात में डाल दिया गया कि जेल भेजकर वाहन सीज करो। बाद में पत्रकार को उनके साथी छुड़ाकर पहले हैलट और फिर उर्सला ले गए। जितेंद्र की ओर से थानाध्यक्ष, दरोगा और अज्ञात सिपाहियों के खिलाफ मारपीट, मोबाइल छीनने की तहरीर दी गई है।
उधर चमनगंज थानाध्यक्ष ने बताया कि पत्रकार न चालान का पैसा दे रहा था और न ही रसीद ले रहा था। हुज्जत करने पर उसकी पुलिसकर्मियों से नोकझोंक हुई थी। जितेंद्र से उन्होंने या उनके दरोगा ने मारपीट नहीं की है।

Sunday, November 7, 2010

POLICE TURNING: सिपाहियों ने युवक को छत से फेंका, मौत

POLICE TURNING: सिपाहियों ने युवक को छत से फेंका, मौत: "दैनिक जागरण के एक समाचार के अनुसार रायपुरवा क्षेत्र में जुआ पकड़ने गये पुलिसकर्मियों ने एक युवक को छत से गिरा दिया। अस्पताल के रास्ते में उस..."

सिपाहियों ने युवक को छत से फेंका, मौत

दैनिक जागरण के एक समाचार के अनुसार रायपुरवा क्षेत्र में जुआ पकड़ने गये पुलिसकर्मियों ने एक युवक को छत से गिरा दिया। अस्पताल के रास्ते में उसकी मौत हो गयी। पुलिस कर्मी शव छोड़कर भाग गए। पुलिस कर्मियों खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। रायपुरवा रेलवे कालोनी की छत पर कुछ युवक जुआ खेल रहे थे। इनमें तेजाब मिल कालोनी का समीर निगम भी था। रात 12.30 बजे सिपाही बृजेश उर्फ वीरेश त्रिपाठी सफेद कार से पुलिसकर्मियों के साथ छापा मारने पहुंचा। पुलिस देख युवक भागने लगे तो इनकी घेराबंदी की। आरोप है कि पुलिस ने कुछ युवकों को पैसा लेकर भगा दिया जबकि विरोध करने पर बाकियों को पीटा। इस दौरान किसी पुलिसकर्मी ने बचने के लिये धक्का-मुक्की कर रहे रिटायर्ड रेलवे कर्मी जगदीश प्रसाद के 25 वर्षीय बेटे समीर निगम को धक्का दिया जिससे वह छत से गिर पड़ा। यह देख कुछ पुलिसकर्मी मौके पर डंडा, टोपी व डायरी छोड़कर भाग गये। दो सिपाहियों को भीड़ ने घेरा तो वह तुरंत समीर को सेवाधाम अस्पताल ले गये और छोड़कर भाग गये। डाक्टरों ने समीर को हैलट ले जाने को कहा, लेकिन इसी बीच उसने दम तोड़ दिया। सूचना पर समीर के माता-पिता, भाई सुनील, सुशील व सुधीर मौके पर पहुंचे। खबर सुनकर समीर की पत्नी बबिता बेहोश होकर गिर पड़ी। रायपुरवा पुलिस ने आक्रोशित भीड़ को शांत कराया। परिजनों से मिली तहरीर पर झकरकटी चौकी में तैनात सिपाही बृजेश उर्फ वीरेश त्रिपाठी को नामजद कराते हुए एक दरोगा व दो सिपाहियों पर लूट और हत्या की धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया।


अब पुलिस के आतंक को देखते हुए कुछ तो प्रशासन को करना ही चाहिए, वरना एक दिन जनप्रतिनिधियों के साथ- साथ अधिकारीयों के साथ भी पुलिस ऐसा ही करेगी.


हर बार की तरह इस बार भी पुलिस लीपा पोती करके अपराधी पुलिस कर्मियों को बचाएगी और उनके हौसले बढ़ाएगी, कानून के साथ खेलेगी.

Friday, October 29, 2010

पुलिस कि लूट कोतवाली में

देखिये किस प्रकार इस देश और प्रदेश में लूट मची हुई है. सरकारी नुमैन्दे भी लूटने के नए से नए हथकंडे अपनाते रहते है. अब चुनाव में ही चाहिए था कि एक हलफनामा दो मतलब स्टंप 10 वाला 50 का बिका उअर फिर पुलिस से करेक्टर लो उसमे तो आप सभी जानते ही है कि पुलिस का व्यवहार कैसा है? देखिये दैनिक जागरण में छपी एक बानगी --
कोतवाली में बिका कैरेक्टर
महेश शर्मा, घाटमपुर मतदान में हिंसा से परेशान जिला प्रशासन की शांतिपूर्ण मतगणना के लिए लागू की गयी एजेंटों के चरित्र सत्यापन की व्यवस्था का पुलिस ने ही मखौल बना डाला। मतगणना से 24 घंटे पहले जारी हुए इस फरमान का फायदा उठाकर खाकी की शह पर दलालों ने कोतवाली में चरित्र सत्यापन की रिपोर्ट और मुहर के नाम पर परेशान प्रत्याशियों व उनके समर्थकों से खुलेआम 20-20 रुपये वसूले। मतगणना में आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों को एजेंट न बनाने के चुनाव आयोग के निर्देश का पालन कराने के लिए विकास खंड दफ्तर पहुंचे प्रत्याशियों व उनके समर्थकों से मंगलवार को कहा गया था कि या तो अपने अभिकर्ताओं के चरित्र का सत्यापन पुलिस से करायें या अपराधी न होने का शपथपत्र दें। ज्वाइंट मजिस्ट्रेट डा. मुत्तू कुमार स्वामी के मुताबिक यह व्यवस्था जिलाधिकारी मुकेश कुमार मेश्राम की बैठक में दिए गए निर्देश पर लागू की गई। इस नियम के चलते बुधवार सुबह से ही प्रत्याशियों व एजेंटों की भीड़ कोतवाली के चक्कर काटने लगी। कोतवाली में भीड़ बढ़ी तो एक दलाल को व्यवस्था का जिम्मा सौंपकर उसकी टीम के लोगों को ही मुहर व दस्तखत का जिम्मा दे दिया गया। फिर क्या था 20-20 रुपये में चरित्र प्रमाणपत्र खुलेआम बिकने लगे। लोगों से फार्म जमा कराये गये और बिना कोतवाली के अभिलेखों से सत्यापन कराये दस्तखत व मुहर लगाकर बांटे जाने लगे। कोतवाली के भीतर खड़े जब्त वाहनों के ऊपर चढ़कर दलालों की टीम फार्म में लिखे आवेदकों के नाम पुकार-पुकार कर 20-20 रुपये वसूलने लगी। पुलिस की नाक के नीचे दिन भर चले इस तमाशे को देखकर लोग व्यवस्था को कोसते रहे। अगर थाने में बिना सत्यापन खुलेआम 20-20 रुपये वसूल कर रिपोर्ट व मुहर लगाकर चरित्र सत्यापन हुआ है तो आपत्तिजनक है। इस मामले में दोषी पाये जाने वाले लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की अनुशंसा उच्चाधिकारियों से करेंगे। -डा. मुत्तू कुमार स्वामी बी, ज्वाइंट मजिस्ट्रेट। थाने से प्रत्याशियों व अभिकर्ताओं का न तो कोई चरित्र सत्यापन हुआ है, और न ही सत्यापन के नाम पर कोई धन वसूली की गयी है। -लाल बहादुर, एसपी (ग्रामीण)
पुलिस कि लूट कोतवाली में

Wednesday, October 27, 2010

POLICE TURNING: पुलिस ने खुले आम कई दिनों तक की गुंडागर्दी

POLICE TURNING: पुलिस ने खुले आम कई दिनों तक की गुंडागर्दी: "कानपुर का घाटमपुर तेहसील में चुनाव में समाचार पत्रों के अनुसार किसी हिअत्रिसीतर के पक्ष में कार्यवाही या समर्थन करने में लोगो में विरोध किया..."

पुलिस ने खुले आम कई दिनों तक की गुंडागर्दी

कानपुर का घाटमपुर तेहसील में चुनाव में समाचार पत्रों के अनुसार किसी हिअत्रिसीतर के पक्ष में कार्यवाही या समर्थन करने में लोगो में विरोध किया तो लाठी चार्ज किया तो जनता ने भी गुस्सा जाहिर कर पथराव किया. इसके बाद जारी हुआ पुलिस के खाकी वर्दी की गुंडागर्दी, देखिये कुछ अख़बारों की प्रकाशित सूचनाएँ--

अमरउजाला 26 oct 2010

आखिरी वक्त पर घाटमपुर के चिरली गांव में उपद्रव कानपुर। चौथे चरण के मतदान का अंतिम एक घंटा पुलिस-प्रशासन पर भारी पड़ा। गुस्साई भीड़ ने घाटमपुर के चिरली मतदान केंद्र पर फर्जी वोटिंग का आरोप लगाकर हंगामा किया तो पुलिसकर्मियों ने कई प्रत्याशियों के बस्ते तोड़फोड़ दिए और जमकर लाठियां बरसाईं। जवाब में गुस्साए लोगों ने पथराव करते हुए बूथ लूटने की कोशिश की तो पुलिस ने लोगों को मकानों से खींचकर पीटा। डीएम और डीआईजी सहित भारी फोर्स मौके पर पहुंची तब हालात काबू हुए। करीब 17 लोगों को पकड़ा गया है।
घाटमपुर की चिरली ग्राम पंचायत से एक हिस्ट्रीशीटर की पत्नी प्रधानी का चुनाव लड़ रही है। बताते हैं दोपहर से ही हिस्ट्रीशीटर मतदान केंद्र पर तैनात पुलिसकर्मियों को चाय-नाश्ता करा रहा था। मतदान का वक्त खत्म होने से पूर्व उसने पुलिस की शह पर फर्जी वोटिंग करानी शुरू कर दी। जब अन्य प्रत्याशियों ने विरोध किया तो पुलिस ने उन पर लाठीचार्ज करते हुए उनके ही बस्तों पर तोड़फोड़ शुरू कर दी। गुस्साई भीड़ ने पुलिस पर पत्थर चलाए तो अफरा-तफरी मच गई। बौखलाई पुलिस ने गांव में तांडव मचाया। अशोक के 15 वर्षीय पुत्र संजय सविता को बुरी तरह पीटा। बाद में पुलिस ने लोगों को मकानों से घसीटकर पीटा। करीब दो घंटे तक मतदान केंद्र पर हंगामा चला। डीएम ने बताया 12 पोलिंग एजेंट सहित 17 लोगों को शांतिभंग के आरोप में पकड़ा गया है।
२७ oct 2010
डर के मारे कई लोग घरों से भागे
घाटमपुर। पंचायत चुनाव के अंतिम चरण के मतदान के दौरान भीतरगांव विकास खंड के चिरली गांव में हुए बवाल की आग में पुलिस ने आज फिर घी डाल दिया। आरोप है कि पुलिस ने गांव में प्रधानी का चुनाव लड़े लोगों के घरों में घुसकर जमकर तोड़फोड़ की। पुलिस के डर से तमाम लोग पलायन कर गए हैं। इससे गांव में दहशत है।
आरोप है बीते सोमवार को पंचायत चुनाव का मतदान खत्म होने से करीब एक घंटे पहले चिरली गांव निवासी एक ग्रामीण ने फर्जी मतदान करवाना शुरू कर दिया। उसकी पत्नी प्रधानी का चुनाव लड़ी है। जबकि, उसके मुकाबले में चिरली के विमल किशोर, भूरा, जीतेंद्र मिश्रा, पूत शुक्ला तथा मुन्ना मिश्रा सहित कुल 10 उम्मीदवार हैं। फर्जी मतदान को लेकर पुलिस व ग्रामीणों के बीच बवाल हो गया। पुलिस इस मामले में 16 लोगों को उठाकर ले आई थी। इनके परिवारवाले पुलिस के भय से गांव से पलायन कर गए हैं। वहीं, प्रधान पद की प्रत्याशी सुशीला देवी का आरोप है कि पुलिस उनके घर से नकदी और जेवर भी उठा ले गई।
इधर, मंगलवार की दोपहर बाद सीओ (घाटमपुर) पीपी सिंह की अगुवाई में पुलिस की कई जीपें चिरली गांव पहुंचीं। आरोप है कि पुलिस ने प्रत्याशियों के घरों में घुसकर तोड़फोड़ और लूटपाट की।
इस बारे में घाटमपुर सीओ पीपी सिंह ने बताया कि वह चिरली गांव गए ही नहीं हैं। बताया कि हो सकता है कि साढ़ पुलिस गई हो। दूसरी ओर, पुलिस के तांडव का शिकार हुए लोग घरों से पलायन कर गए हैं। अधिकांश घरों में ताले बंद हैं।
पकड़े गए लोगों में विमल किशोर उसका भाई कमल किशोर, पिता श्याम किशोर तिवारी, सुरेंद्र कुमार, सत्यप्रकाश शुक्ला (पूत), अशोक कुमार कुरील, विजय कुशवाहा, श्यामू सिंह, धीरेंद्र सिंह, राजबहादुर सिंह, राघवेंद्र सिंह, लालसिंह, सोनू सिंह, संतोष सविता तथा चंद्रहास सिंह समेत कुल 16 लोग शामिल हैं। इनको दफा 151 के तहत मंगलवार को ज्वाइंट मजिस्टे्रट के सामने पेश किया गया। इनमें 12 को जमानत दे गई जबकि चार को जेल भेजने के निर्देश दिए।
चिरली में पुलिस ने फिर लोगों को दौड़ाया
‘पुलिस ने तो हद ही पार कर दी’
घाटमपुर। चिरली गांव में लगातार दूसरे दिन पुलिस तांडव की खबर पाकर फतेहपुर के सपा सांसद एवं घाटमपुर के पूर्व विधायक राकेश सचान मंगलवार शाम वहां पहुंच गए। सपाइयों ने पुलिसिया कार्रवाई पर विरोध जताया है। इधर, पुलिस ने आज भी कुछ लोगों को पकड़ा है। उधर, राकेश सचान ने बताया कि पुलिस ने अपनी हद पारकर काम किया है जिसकी शिकायत केंद्र सरकार तक की जाएगी। मालूम हो कि बीते सोमवार को हुई घटना के बाद अधिकारियों से सपा सांसद राकेश सचान ने वार्ता की थी। इस पर उन्होंने आश्वासन दिया था कि पकड़े घए लोगों के खिलाफ कोई गंभीर मुकदमा नहीं लिखा जाएगा। उनको एसडीएम की अदालत से कार्रवाई के बाद जमानत दिलवा दी जाएगी। इसके बाद लोग शांत हो गए थे।
लेकिन, मंगलवार को सीओ के नेतृत्व में फिर पहुंची पुलिस ने फिर गांव में तांडव मचाया तथा दर्जन भर से अधिक लोगों को उठाकर थाने ले आई। इसकी खबर मिलते ही जहानाबाद (फतेहपुर) के पूर्व विधायक मदन गोपाल वर्मा, सपा के ग्रामीण जिलाध्यक्ष मुनींद्र शुक्ला तथा पूर्व एमएलसी लालसिंह तोमर के अलावा चंद्रपाल दिवाकर समेत बड़ी संख्या में सपाई चिरली गांव पहुंच गए।
पुलिस के तांडव के बाद चिरली गांव में पसरा सन्नाटा

दैनिक जागरण 26 oct 2010

चिरली में पथराव व लाठीचार्ज


घाटमपुर, प्रतिनिधि: घड़ी की सुई ने सोमवार को साढ़ क्षेत्र के चिरली व में पुलिस व ग्रामीणों में संघर्ष करा दिया। समय से पहले पुलिस द्वारा बूथ हटवाने से नाराज ग्रामीणों के पथराव के जवाब में पुलिस ने लाठीचार्ज किया। संघर्ष में दरोगा सहित तीन सिपाही व आधा दर्जन ग्रामीण घायल हो गये। भीतरगांव विकास खंड की ग्राम सभा चिरली में प्रधान का पद अनारक्षित है, यहां 10 प्रत्याशी मैदान में थे। चिरली ग्राम सभा में तिलियावर व घारमपुर गांव भी आते हैं। शाम साढ़े चार बजे एक प्रत्याशी द्वारा 500-500 रुपये देकर महिलाओं से फर्जी वोटिंग कराने की शिकायत पर एसीएम मदन सिंह गर्बयाल व सीओ शोएब इकबाल इस पोलिंग सेंटर पर पहुंचे। इस दौरान पांच बजने की गलतफहमी में सिपाहियों ने प्रत्याशियों के खदेड़ने के साथ मतदाता सूची तथा बैनर पलट दिये। इससे नाराज ग्रामीणों ने पुलिस पर हमला कर दिया। पथराव में दरोगा संगम लाल शुक्ला के जख्मी होने के बाद पुलिस ने जमकर लाठीचार्ज किया। पास के केंद्रों से अतिरिक्त पुलिस व पीएसी मंगाकर गांव की घेराबंदी कर ली। इसके बाद जो जहां मिला पीटा। प्रधान प्रत्याशी गप्पू तिवारी, पवन तिवारी समेत 16 लोगों को गिरफ्तार कर लिया। एडीएम सर्वज्ञ राम मिश्रा व एसपी यातायात राम पाल गौतम ने लोगों को शांत कराया। देर रात पुलिस गांव में पथराव करने वालों की धरपकड़ में जुटी थी। सीओ प्रेम प्रकाश ने बताया भीड़ पर काबू पाने में हल्का बल प्रयोग करना पड़ा।
दरवाजे उखाड़े, चूल्हे तक तोड़े
घाटमपुर, प्रतिनिधि : चिरली गांव में सोमवार को पंचायत चुनाव के दौरान ग्रामीणों से संघर्ष में दरोगा व सिपाहियों के घायल होने से गुस्सायी पुलिस ने मंगलवार को दोबारा छापा मारा। पुलिस बल ने कई घरों में चूल्हे, पलंग व गृहस्थी का सामान तोड़ दिया। ग्रामीणों का आरोप है कि महिलाओं से अभद्रता करने के साथ सिपाही नकदी व जेवर भी लूट ले गये। पंचायत चुनाव में सोमवार सायं साढ़े चार बजे पुलिस द्वारा चिरली में मतदान केंद्र के बाहर लगे प्रत्याशियों के बस्ते हटवाने से उत्तेजित ग्रामीणों ने पथराव किया था। जवाब में पुलिस ने लाठीचार्ज कर 16 लोगों को शांति भंग में गिरफ्तार किया था। बाद में गांव की घेराबंदी कर पुलिस ने कई लोगों की पिटाई की थी। मंगलवार सायं चार बजे पुलिस ने गांव में दोबारा छापा मारा। कोतवाली, सजेती, बिधनू, महराजपुर व नर्वल थाने की फोर्स के साथ पीएसी भी गांव पहुंची। आरोप है कि ग्राम प्रधान प्रत्याशी जयप्रकाश उर्फ भूरा सिंह व संध्या शुक्ला के अलावा जगदेव सिंह, पूर्व क्षेत्र पंचायत सदस्य शिवबरन सिंह उर्फ मोना, रहमुद्दीन, रशीद, विनोद शुक्ला, बउवन व रामजी शुक्ला के घरों में फोर्स ने जमकर तोड़फोड़ की। पुलिस ने टीवी, पलंग, ड्रेसिंग टेबल व गृहस्थी का सामान तोड़ दिया। रसोई में तैयार भोजन सड़क पर फेंक दिया। शिवबरन सिंह की मां गुलगुले पका रही थीं। सिपाहियों ने उनकी कढ़ाई में लात मार दी। गरम तेल पैर में गिरने से वह झुलस गयीं। महिलाओं का आरोप है कि तोड़फोड़ का विरोध करने पर पुलिस कर्मियों ने गालियां दीं और अभद्रता की। इस सबंध में प्रभारी निरीक्षक एएन राय का कहना है कि उपद्रवी तत्वों की तलाश में छापा मारा गया था, जो नहीं मिले। ग्रामीण पेशबंदी में आरोप लगा रहे हैं। फौजी को भी बेरहमी से पीटा सोमवार रात घेराबंदी के दौरान गांव पहुंचे एक फौजी योगेंद्र द्विवेदी को पुलिस ने लाठियों से बेरहमी से पीटा। योगेंद्र छुट्टी में मिजोरम से आये थे, चोट दिखाते हुए वह बोले खाकी का ऐसा रूप नहीं देखा था। पुलिस गांव से रिटायर सिपाही कुशलपाल सिंह व प्रत्याशी जयप्रकाश उर्फ भूरा सिंह के भांजे शानू, विनय व विक्की को भी पकड़ ले गयी पर बाद में छोड़ दिया।
बंद कुंडियों के पीछे सुबकते बच्चे
घाटमपुर, प्रतिनिधि : सोमवार देर रात फिर मंगलवार शाम हुई पुलिस की बर्बरता से चिरली गांव में ऐसी दहशत छायी है कि गाडि़यों की आवाज आते ही महिलाएं दुबक जाती हैं तो बच्चे सुबकने लगते हैं। घरों से पुरुष सदस्य भागे हुए हैं। सोमवार सायं पथराव की घटना के बाद जुटे भारी पुलिस बल ने देर रात गांव में तमाम लोगों को घेरकर पीटा था। अभी इसकी दहशत खत्म भी नहीं हो पायी थी कि मंगलवार सायं 4 बजे जब दोबारा भारी पुलिस बल गांव पहुंचा तो कोहराम मच गया। पुलिस के दोबारा तांडव के बाद गांव की गलियों में सन्नाटा छाया है। जागरण टीम जब गांव पहुंची, तो गाड़ी की आवाज सुनकर देहरी पर खड़ी महिलाएं व बच्चे धड़ाधड़ दरवाजे बंद कर अंदर दुबक गये। बाद में पुलिस न होने की जानकारी के दरवाजे खुले तो महिलाएं घरों के हालात दिखाते हुए रो पड़ीं। ग्राम प्रधान प्रत्याशी संध्या शुक्ला ने कहा, पुलिस ने घरों में लूटपाट के साथ महिलाओं से अभद्रता की। तोड़फोड़ का आरोप पेशबंदी के लिए लगाया जा रहा है। पुलिस को साफ निर्देश दिये गये हैं कि पूरी पहचान के बाद उन लोगों को गिरफ्तार किया जाये जो पुलिस पर हमला करने में शामिल थे। पुलिस गांव में आरोपियों की तलाश करने गयी थी। किसी भी घर में तोड़फोड़ या किसी से अभद्रता नहीं की गयी। -प्रेम प्रकाश, डीआईजी।
सोचिये और उपाय कीजिये कैसे रुकेगी पुलिस की गुंडागर्दी.

Tuesday, October 12, 2010

पुलिस रुपये लेकर बेच रही ब्लू लेन का पास

दैनिक जागरण 12 oct 2010
नई दिल्ली यहां भी कमाई। पैसे हो तो रिजर्व लेन में सैर करो। कोई रोकने वाला नहीं होगा। लेकिन, यह सुविधा भी विदेशियों को ही मिलेगी। आयोजन समिति मोटी रकम लेकर रिजर्व लेन (ब्लू लेन) में चलने का अधिकार पत्र (पास) दिल्ली में स्थित उच्चायोगों व कुछ अन्य दे रही है। आयोजन समिति के इस तरीके को गलत बताया जा रहा है। वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों का कहना है कि रिजर्व लेन को बहुत ही सोच समझ कर सुरक्षा आदि कारणों को देखते हुए बनाया गया था। किंतु धड़ल्ले से पास बेचकर इस लेन को भी कॉमन कर दिया जाना गलत है। इससे रिजर्व लेन पर गाडि़यों का दबाव बढ़ेगा। खेल शुरू होने से पूर्व निर्णय लिया गया था कि रिजर्व लेन पर उच्चायोगों के जो डेलीगेट्स आएंगे वे भी सुरक्षा कारणों से उस लेन का उपयोग करेंगे। इसके लिए दिल्ली में स्थित सभी 54 उच्चायोगों को आयोजन समिति द्वारा एक-एक पास जारी किया था। एक पास से काम नहीं चलने पर उच्चायोगों ने आयोजन समिति से अतिरिक्त पासों की मांगने शुरू कर दिए। पहले तो ओसी ने पास देने से मना कर दिया। किंतु उच्चायोग ने जब यह तर्क दिल्ली कि एस पास से उनका काम नहीं चल सकता है तब आयोजन समिति ने अतिरिक्त पास खरीदने की बात कही। इसपर उच्चायोग पास खरीदने के लिए तैयार हो गए। एक पास के 280 डॉलर यानी 12440 रुपए कीमती रखी गई। आयोजन समिति ने तब यह तय दिया कि एक उच्चायोग को तीन से अधिक पास नहीं बेचे जाएंगे। अधिकतर उच्चायोग ने तीन-तीन पास खरीद लिए और इसके अलावे भी पास देने की मांग कर रह हैं। उच्चायोगों का कहना है कि उनके देश से कई डेलीगेट्स दिल्ली खेल देखने आए हैं। जिससे आयोजन समिति अब संकट में पड़ गया है। अधिकारियों का कहना है कि आयोजन समिति के इस तरह के रवैये से रिजर्व लेन का दुरुपयोग होगा साथ ही समिति के धन कमाने का यह तरीका भी बिल्कुल गलत है। गृहमंत्री पी चिदंबरम की सख्ती के कारण जहां सुरक्षा कर्मी कोई भी ढिलाई नहीं बरतना चाह रहे हैं वहीं आयोजन समिति की कार्यप्रणाली को लेकर पुलिस कर्मियों व सुरक्षा एजेंसियों को खारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।


क्या होगा देश का ?